मैं दर्दों से लिखता हूँ ज़िन्दगी के किस्से,
तुम सब दर्द उनमे से चुरा लोगे ना...
हवाओं के तेवर से बहुत मायूस हूँ मैं,
ये जलते दिए आँधियों से बचा लोगे ना...
बेखबर हैं चाँद सुध लेता ही नहीं हमारी,
तुम भी सितारों से दिल बहला लोगे ना...
सजा दें अगर अपनी शायरी क़दमों पर तुम्हारे,
अपनी पलकों पर तुम इनको उठा लोगे ना...
यकीन हैं मुझको ना भुला पाओगे तुम भी,
फांसले जो दरमियान हैं उनको मिटा दोगे ना...
चल रहा हूँ सफ़र के आखिरी पड़ाव पर,
मेरी सब तन्हाइयां अब चुरा लोगे ना...
अब रहूंगा मैं बस तुझसे ही ज़िंदा,
मेरे हर कदम पर साथ खड़े तुम होगे ना....