रोता हुआ चिराग बुझता नहीं कभी,
तेरे इश्क में दीवाना मरता नहीं कभी..
इस मयकशी से दर्द बढ़ता नहीं अगर,
साकी तेरे मैखाने में आता नहीं कभी..
तेरे हुस्न की इबादत में गुजरी है जिंदगी,
इक तेरे सिवा और सोचा नहीं कभी..
शब ने मुझे सौगात दिया है गजल की,
मैं चांद के खातिर सोया नहीं कभी...!