गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

अजीब अफसाना है...


अब अपने हर गम को दुनिया से छुपाना है,
उसके दिए ग़मों में भी हरदम मुस्कुराना है,
मुझे नहीं है शिकायत अब भी उस से कोई,
होगी मजबूरी तभी तो  दूर रहने का ठाना है,
कभी वो मुझे अपनेआप से बढकर चाहता था,
आज वक़्त है कि वो मुझसे ही बेगाना है,
कभी पल पल की रखता था जो खबर मेरी,
आज के वक़्त वो मेरी हर बात से अनजाना है,
वो भूल गया मुझको मैं आज भी उसे चाहता हूँ,
अजीब है मेरी जिंदगी और अजीब अफसाना है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें