मैं दर्दों से लिखता हूँ ज़िन्दगी के किस्से,
तुम सब दर्द उनमे से चुरा लोगे ना...
हवाओं के तेवर से बहुत मायूस हूँ मैं,
ये जलते दिए आँधियों से बचा लोगे ना...
बेखबर हैं चाँद सुध लेता ही नहीं हमारी,
तुम भी सितारों से दिल बहला लोगे ना...
सजा दें अगर अपनी शायरी क़दमों पर तुम्हारे,
अपनी पलकों पर तुम इनको उठा लोगे ना...
यकीन हैं मुझको ना भुला पाओगे तुम भी,
फांसले जो दरमियान हैं उनको मिटा दोगे ना...
चल रहा हूँ सफ़र के आखिरी पड़ाव पर,
मेरी सब तन्हाइयां अब चुरा लोगे ना...
अब रहूंगा मैं बस तुझसे ही ज़िंदा,
मेरे हर कदम पर साथ खड़े तुम होगे ना....
अच्छी है। हम इसी को छापेंगे।
जवाब देंहटाएंWaah...!! Jabar likhe ho bhai
जवाब देंहटाएंअच्छी है.. असल मे खुबसुरत है
जवाब देंहटाएंऊपर जितने कमेंट आये हैं सबको कॉपी पेस्ट कर दिया जाए यहाँ तो भी शब्द कम हो जायें, क्या बोलू क्या लिखूं समझ से बाहर है, मुझे ज्यादा लिखने की आदत नहीं है जो है सो है और यहाँ जो है वो पूरा का पूरा उन्मुक्त है
जवाब देंहटाएं"Ab umeed nahi zindagi se kuch,
जवाब देंहटाएंapni sunder kavitao se mann beheladoge na..."
Bohot pyara likhte ho ankur...
Amazing!! :-)
very nice............
जवाब देंहटाएंअच्छा है . वैसे भी अच्छा लिखते है
जवाब देंहटाएंnice... :)
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