शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

तुम आये तो सब अच्छा लगा..

दुनिया की इस भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा,
सब से नजरें छुपा कर बस उसको निहारना बहुत अच्छा लगा,

इन आँखों के पलकों पे कुछ मीठे मीठे ख्वाब से सजने लगे,
किसी और से बातें करते करते उसको सोचना अच्छा लगा,

कह तो वैसे भी हम कुछ नहीं रहे थे  लेकिन उसका एकदम,
मेरे सुर्ख होटों पर रख कर हाथ उसका रोकना अच्छा लगा,

हम तो बैठे थे दिल में अपने ना जाने कितने दर्दों को लिए,
तुम्हारे दर्द अब मेरे भी है कानों को ये सुनना अच्छा लगा,

हम तो अपने दिल को बाँध बैठे थे उसको भुलाने के लिए,
वो यूं मिला कि भूलने का बुरा इरादा तोड़ना अच्छा लगा...

9 टिप्‍पणियां:

  1. दुनिया की इस भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा,
    सब से नजरें छुपा कर बस उसको निहारना बहुत अच्छा लगा,

    यह तो कुछ ऐसा लगा कि आपने हमारी मुलाक़ात के बारे में ही लिख दिया बात भले ही यह ना हो मगर ऐसा सोच कर अच्छा लगा

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  2. Bahut khoob Ankur ji.Achchhi kavita likhi hai apne.... wish you the great future @Vijayiaf

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  3. Nice dude...keep up the good work...try to write something over todays time!! :)

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  4. लाजवाब है मेरे भाई।
    अपनी कहानी लगती है।

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