शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

मोहब्बत बनी कश्मीर

जिंदगी जख्म की तस्वीर बनके रह गई,
तू मेरे दिल पे लगी तीर बनके रह गई..

मैं बना फिरता हूं दीवाना तेरे गम में,
तू मेरे पैरों की जंजीर बनके रह गई..

इस जमाने के तानों को सुनते-सुनते,
ये तमाशा मेरी तकदीर बनके रह गई..

सरहदें पारकर हम-तुम न मिल पाए कभी,
ये मुहब्बत भी कश्मीर बनके रह गई..

9 टिप्‍पणियां:

  1. सरहदें पारकर हम-तुम न मिल पाए कभी,
    ये मुहब्बत भी कश्मीर बनके रह गई.. बहुतखूब

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  2. wow.. beautiful... sarhade parkar hum tum na mil paye kabhi.. ye mahobbatain bhi kashmir banke reh gayi.. awesome

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