गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

सम्पूर्ण आज़ादी का शंखनाद

मैं बाबा रामदेव, फिर स्वाभिमान जगाने निकला हूँ...........
मैं फिर कुछ कमजर्फो को उनकी औकात दिखाने निकला हूँ.....

दिये घाव तूने मुझे, मैं हारा नहीं..
मैं बुझे हुए अंगारों से फिर आग जलाने निकला हूँ....

सन सैंतालिस (1947 ) की आधी गुलामी से फिर छुटकारा दिलवाने निकला हूँ...
मैं कुछ गोरे कुत्ते और उनके काले पिल्लो से देश छुड़ाने निकला हूँ......

भटक गए जो इस पिज्जा बर्गर की पाश्चात्य संस्कृति की दौड़ में..
उन सोये हुए युवा भारत की नस नस में, जवानी लाने निकला हूँ....

मैं बाबा रामदेव, फिर स्वाभिमान जगाने निकला हूँ...........
मैं फिर कुछ कमजर्फो को उनकी औकात दिखाने निकला हूँ....

सोयी हुई कलमो में फिर से स्याही भरने निकला हूँ..
मैं अपने घर के शिशुपालों की 100 गाली गिनने निकला हूँ..

जिनकी जवानी का कर्जा है भारत माँ की आजादी पर..
उन भगत,बोस,आजाद के अहसानों का कुछ हिस्सा चुकाने निकला हूँ..

मैं बाबा रामदेव, फिर स्वाभिमान जगाने निकला हूँ........
मैं फिर कुछ कमजर्फो को उनकी औकात दिखाने निकला हूँ...

जो बैठ गए है कुटिल चाल से भारत माँ के सिंहासन पर..
फिर उन एलिजाबेथो की संतानों के तख्ता पलट को निकला हूँ..

मैं उन तथाकथित समझौतों को जनता को दिखलाने निकला हूँ..
मैं इस गूँगें बहरे शासन को फिर से जगाने निकला हूँ..

मैं चाणक्य को फिर से चन्द्रगुप्त बनाने की कला सिखाने निकला हूँ..
मैं अर्जुन को फिर से मछली की आँख सधवाने निकला हूँ...

मैं बाबा रामदेव, फिर स्वाभिमान जगाने निकला हूँ..
मैं फिर कुछ कमजर्फो को उनकी औकात दिखाने निकला हूँ..

भारत माता की जय , वन्दे मातरम , जय श्री राम , जय श्री कृष्ण , जय हो !

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