कुछ लोग इस जहाँ मे ऐसे भी तो होते हैं
जो होते हैं वो वो नही जो नही वो होते हैं
मन मे कुछ और जबान पर कुछ होता है
उनके बारे मे तो ख़ुदा को ही पता होता है
मीठे इतने ही की जैसे हो कोई चाशनी शहद
दिल से इतने कडवे कि तोडे नीम की भी हद
जिससे हो ग़र काम तो बना लेते उसे ही बाप
मतलब के लिये कर दे वो हर पाप ही माफ़
ठँडे खून के ही ये होतें हैं दुष्ट कुटिल कातिल
इनकी हर बात मे एक साज़िश ही है शामिल
तारीफ़ इतनी करेंगे की आप हो जाओ कायल
वक़्त आने पे कर दे ये तन मन भी घायल
चलता क्या इनके मन मे कोई नही है जानता
देख भोली भाली शक्ल न कोई इन्हे पहचानता
जब तक है काम तो बस आपके ही हैं साथ
काम निकलते ही दिखा देते ये हैं बस हाथ
बनाकर अपना ही तो बन जाते हैं ये हमराज
पीठ पीछे मतलब पर खोल देते हैं सब राज
ढोंग करते हैं कि ये हैं भगवान के सच्चे भक्त
ग़रीबो मासूमो पर दया नही है दिल भी सख़्त
छोटे बडे सब को ही बस ये लगा लेते हैं गले
वक़्त आने पे यही लोग दबा भी देते हैं गले
दौलत के भूखे हैं हवस वासना की भी है नज़र
सबके दिलो मे झूँठ मक्कारी से बना लेते घर
सवाल ये कि इन दुष्टो की अब कैसे करें पहचान
कैसे जाने कोई भला मानुष या है कोई शैतान
जवाब सीधा सादा है बस करना पक्का इरादा है
देखना है की ये शरीफ़ है या फ़िर कोई दादा है
उस व्यक्ति को एक किसी मुश्किल मे डालना है
असली नही बस उसे नकली स्थति मे डालना है
थोडी ही देर मे बस उसकी खुल ही जायेगी पोल
सूख जायेगा गला मूँह से भी ना निकलेंगे बोल
सच्चा दोस्त साथी प्यार रहता मुश्किलो मे खडा
झूँठा भागता आयेगा नज़र देख के मौसम कडा
आपके हमारे बीच भी हैं कुछ ऐसे ही बेहरूपिये
दिल के आईने वक़्त की धूप मे इन्हे परखिये
कहीं ऐसा ना हो की आप भी हो जायें शिकार
करके वफ़ा इनपे हो जाये इज़्ज़त भी तार तार
लिखी है ये कविता बस करने को ही होशियार
पढकर इसे वो भी शायद हो जायेंगे अब तैयार
हम दिल से करते हैं बस यही एक ही गुजारिश
दोस्त सच्चे हो आप पर हो मोहब्बतों की बारिश
जो होते हैं वो वो नही जो नही वो होते हैं
मन मे कुछ और जबान पर कुछ होता है
उनके बारे मे तो ख़ुदा को ही पता होता है
मीठे इतने ही की जैसे हो कोई चाशनी शहद
दिल से इतने कडवे कि तोडे नीम की भी हद
जिससे हो ग़र काम तो बना लेते उसे ही बाप
मतलब के लिये कर दे वो हर पाप ही माफ़
ठँडे खून के ही ये होतें हैं दुष्ट कुटिल कातिल
इनकी हर बात मे एक साज़िश ही है शामिल
तारीफ़ इतनी करेंगे की आप हो जाओ कायल
वक़्त आने पे कर दे ये तन मन भी घायल
चलता क्या इनके मन मे कोई नही है जानता
देख भोली भाली शक्ल न कोई इन्हे पहचानता
जब तक है काम तो बस आपके ही हैं साथ
काम निकलते ही दिखा देते ये हैं बस हाथ
बनाकर अपना ही तो बन जाते हैं ये हमराज
पीठ पीछे मतलब पर खोल देते हैं सब राज
ढोंग करते हैं कि ये हैं भगवान के सच्चे भक्त
ग़रीबो मासूमो पर दया नही है दिल भी सख़्त
छोटे बडे सब को ही बस ये लगा लेते हैं गले
वक़्त आने पे यही लोग दबा भी देते हैं गले
दौलत के भूखे हैं हवस वासना की भी है नज़र
सबके दिलो मे झूँठ मक्कारी से बना लेते घर
सवाल ये कि इन दुष्टो की अब कैसे करें पहचान
कैसे जाने कोई भला मानुष या है कोई शैतान
जवाब सीधा सादा है बस करना पक्का इरादा है
देखना है की ये शरीफ़ है या फ़िर कोई दादा है
उस व्यक्ति को एक किसी मुश्किल मे डालना है
असली नही बस उसे नकली स्थति मे डालना है
थोडी ही देर मे बस उसकी खुल ही जायेगी पोल
सूख जायेगा गला मूँह से भी ना निकलेंगे बोल
सच्चा दोस्त साथी प्यार रहता मुश्किलो मे खडा
झूँठा भागता आयेगा नज़र देख के मौसम कडा
आपके हमारे बीच भी हैं कुछ ऐसे ही बेहरूपिये
दिल के आईने वक़्त की धूप मे इन्हे परखिये
कहीं ऐसा ना हो की आप भी हो जायें शिकार
करके वफ़ा इनपे हो जाये इज़्ज़त भी तार तार
लिखी है ये कविता बस करने को ही होशियार
पढकर इसे वो भी शायद हो जायेंगे अब तैयार
हम दिल से करते हैं बस यही एक ही गुजारिश
दोस्त सच्चे हो आप पर हो मोहब्बतों की बारिश
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