सोमवार, 5 नवंबर 2012

माँ बाप का क़र्ज़ चुका के जायेंगे...


क्यूँ कहते हैं माँ बाप भूल जाओ अपना प्यार,
क्यूँ नहीं समझते बच्चों को उनकी जरुरत है प्यार,
बड़ी आसानी से कह देते हैं चुनलो किसी एक को,
क्यूँ नहीं समझते मुश्किल होता है छोड़ना एक को,
जब माँ बाप नहीं रह सकते बच्चों के बिना,
तो बच्चे कैसे रह पायेंगे अपने प्यार के बिना,
हो जाते हैं बच्चे दूर कर देते हैं इतना मजबूर,
अजीब है ये दुनिया और इसके दस्तूर,
समझ नहीं आता अब क्या कर गुजरें हम उनके प्यार में,
कर ना पायें कुछ तो मार जाएँ उनके प्यार में,
फिर सोचते हैं मरने से क्या होगा हासिल,
ना वो जी पायेंगे ना हम मर पायेंगे,
फिर याद आया माँ बाप का क़र्ज़ उतारना है,
मरते दम तक हर हाल में उनका साथ निभाना है,
तभी लिया फैसला उनका हर क़र्ज़ चुकायेंगे,
उनके दुखों को अपने दुखों से धो जायेंगे,
रह लेंगे प्यार के बिना जब तक रह पायेंगे,
इस तरह घरवालों की नजर में तो अच्छे बन जायेंगे,
समझ लेंगे वो हमें बेबफा फिर भूल जायेंगे,
शायद किसी और के साथ वो बहुत खुश रह पायेंगे,
उन्हें देख किसी और के साथ हम जेते जी मर जायेंगे,
फिर देख सबको खुश हम अपनी जिंदगी जी जायेंगे,
अपनी इस बेजान जिंदगी को मूल्यवान बना कर जायेंगे,
अपने माँ बाप का हर दुःख हर के ले जायेंगे,
माँ बाप के प्रति अपना हर फ़र्ज़ निभा कर जायेंगे..

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