वो नही है मेरा मगर हमें उस से मोहब्बत है तो है,
य़े
अगर रसमों रिवाजों से वगावत है तो है,
सच को
मैंने सच कहा जब कह दिया तो कह दिया,
अब जमाने
की नजर में य़े हकीकत है तो है,
दोस्त
बनकर दुशमनों सा वो सताता है मुझे,
फिर
भी उस जालिम पे मरना मेरी फितरत है तो है,
कब कहा
मैंने की वो मिल जाए मुझको,
उसकी
बाहों में दम निकले य़े हसरत है तो है,
वो साथ
है मेरे तो जिंदा हूँ मैं,
मेरी
सासों को उसकी जरूरत है तो है ...
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