सोमवार, 5 नवंबर 2012

वो नहीं आया....


मुद्दत हुई वो इन आँखों को रुलाने नहीं आया,
मेरे इन होठों कि प्यास बुझाने नहीं आया,
कहता था रहेंगे हम सदा तुम्हारी बाँहों में,
अब मैं तनहा हूँ और वो गले लगाने नहीं आया,
कहता था कि जब भी अकेले होगे मुझे राहों में पाओगे,
अकेले पड़ गए हैं हम आज वो साथ निभाने नहीं आया,
कहता था जब भी सोना चाहोगे मेरे काँधे को पाओगे,
उठ चली आज मेरी अर्थी वो कंधा देने नहीं आया....

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